2024 Booker Prize Shortlist
The Shortlist of the books and authors for the prestigious Booker Prize 2024.
The Shortlist of the books and authors for the prestigious Booker Prize 2024.
The National Book Foundation today announced the Longlist for the 2024 National Book Award for Nonfiction. The Finalists in all five categories will be revealed on Tuesday, October 1 with the New York Times; Winners will be announced live at the 75th National Book Awards Ceremony & Benefit Dinner on Wednesday, November 20, 2024.
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The JCB Prize for Literature is a Rs 25-lakh award presented each year to a distinguished work of fiction by an Indian author.
This year’s Nobel Prize announcements will take place 7–14 October. All of the announcements will be streamed live at nobelprize.org.
The reading of all good books is like a conversation with the finest minds of past centuries. -Rene Descartes Books don’t change the world, people change the world, books only change people. -Mario Quintana If you only read the books that everyone else is reading, you can only think what everyone else
New India Foundation announces the Longlist 2024 for Kamla Devi Chattopadhyay book prize
LONGLIST for the NIF Kamaladevi Chattopadhyay Book Prize 2024 Read More »
क्यों तुले हो सबको एक जैसा बनाने में ?क्यों चाहते हो सब एक सा दिखें ? एक सा सोचें ?सब एक ही सुर में बोले, क्यों चाहते हो ? क्यों चाहते हो देश की, देश-प्रेम की परिभाषा एक हो ?नहीं हैं हम एक और ये ही हमारी खूबसूरती हैसोचो एक ही तरह के फूलों का
मैं शर्मिंदा हूँअपने कुछ न कर पाने परसब देखते हुए चुप रह जाने पर अपने सरों पर अपना घर उठाये ये लोगदिनों- महीनों से पैदल चलते ये लोगशहरों से बाहर निकलती हर सड़क पर,भूखे प्यासे अपने गांव को जाते ये लोगलाखों में है, पर नज़र नहीं आते ये लोग। अख़बार की किसी तस्वीर में एक,पैदल
अगर आवाज़ उठाने को, सवाल पूछने को सही समझते होअगर महज़ एक मतदाता नहीं खुद को नागरिक समझते होतो आवाज़ उठाया करो और सवाल जरूर पूछा करो।जरूरी नहीं कि तुम धरने पर बैठोजरूरी नहीं कि तुम जुलूसों में जाओजरूरी नहीं कि तुम बड़ी बग़ावत करोतुम बस अपने पढ़े लिखे को जाया न करोहर बात को तर्क
मैं बड़ा हुआ हूँ ये बात सुनते सुनतेकि इक्कीसवीं सदी भारत की होगीपहले स्कूल, फिर कॉलेज और उसके बादजाने ही कितनी बार ये बात सुनी थी। यही बात अनेक बुद्धिजीवियों ने,विचारकों ने भी कई बार कही थीयूँ तो ये बात नेताओं ने भी कही थीकई बार, और जाने कितने मंचों सेबस जब वो ये बात