प्रेम का बीज
मैं जहालत और नफ़रत का बीज हूँमैं इस मुल्क के किये धरे पे पानी फेर दूंगामैं तुम्हारी बुद्धि और विवेक हर लूँगामैं इस मुल्क के किये धरे पे पानी फेर दूंगा। मैं जो हूँ, पनपता हूँ वहां –जहाँ भूख होती है और ग़ुरबत खूब होती हैजहाँ करुणा मृत और ईर्ष्या खूब होती हैजहाँ तर्क की […]