लिहाफ़

लिहाफ़

लिहाफ़ - इस्मत चुगताई की कहानियों का संग्रह है। उनकी कहानियों के होकर आप उस दौर के सामाजिक परिवेश में महिलाओं की मनोदशा को समझ पाते हैं।

Book review of Smay se Muthbhed by Adam Gondvi

समय से मुठभेड़ अदम गोंडवी की ग़ज़लों का एक बेहतरीन संग्रह है। उनकी शायरी ने हमेशा शोषित और वंचित लोगों के लिए आवाज़ उठाई है।

बुक रिव्यु ऑफ़ साये में धुप

साये में धूप - दुष्यंत कुमार की बेहतरीन कविताओं का संग्रह है। यह किताब बहुत ही सराही गयी और प्रचलित हुई, सन 1975 में पहली बार प्रकाशित हुई यह किताब आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।

Book Review of Apni Apni Beemari _Harishankar Parsai

हरिशंकर परसाई जी एक ऐसे व्यंगकार थे जिनकी कलम से लिखे व्यंग बहुत गहरी मार करते हैं । उन्होंने हमेशा सामाजिक व् राजनैतिक जीवन के दोगलेपन , चाटुकारिता और ढोंग के बारे में खुलकर लिखा। उनके रचित व्यंग मात्र हंसी ठिठोली से कहीं अधिक होते हैं जो आपको मुस्कुराने के अलावा गम्भीरता से सोचने पर मजबूर करते हैं।

Book Review of Aadha Gaon_Rahi Masoom Raza

आधा गाँव एक उपन्यास जो उत्तर प्रदेश के शिया मुसलमान बाहुल्य एक गाँव की कहानी है। दौर है सन 1947 का , जब राजनैतिक उथल-पुथल अपने चरम पर है। कांग्रेस और मुस्लिम लीग में तना तानी चल रही है और देश बंटवारे के दौर से गुज़र रहा है। ग्रामीण जीवन तथा बदलते राजनैतिक परिवेश में उसके यतार्थ को दर्शाता एक बेहतरीन उपन्यास।

Book review of Raseedi Ticket an Autobiography of Amrita Preetam on bookspoetryandmore.com

अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा।

Book review of Godaan a novel by Munshi Premchand available on www.bookspoetryandmore.com

Godaan

गोदान - मुंशी प्रेमचंद का विश्व प्रसिद्ध उपन्यास है जो कई भाषाओँ में अनुवादित किया जा चुका है। गोदान कहानी है जीवन के संघर्षों की और उनसे झूझते हुए एक इंसान और उसके परिवार की। साथ ही कहानी है समाज और उसमे फैले विसंगतिंयों

Chabbees Kahaniyan by Shivani

छब्बीस कहानियाँ - शिवानी जी की लघु कथाओं का संग्रह है। इसमें कुमाऊँ के पहाड़ों और वहां के लोगों की कहानियां हैं और कहानियां हैं उन सब शहरों की और वहां रहने वाले लोगों की जहाँ - जहाँ शिवानी जी रहीं।

Viklang Shardha Ka Daur by Harishankar Parsai

परसाई जी का व्यंग संग्रह जो उन्होंन उन्होंने आपातकाल और उसके बाद के राजनैतिक और सामाजिक मूल्यों के पतन के ऊपर लिखा है।

nithalle ki diary

हरिशंकर परसाई जी एक ऐसे व्यंगकार थे जिनकी कलम से लिखे व्यंग बहुत गहरी मार करते हैं । उन्होंने हमेशा सामाजिक व् राजनैतिक जीवन के दोगलेपन , चाटुकारिता और ढोंग के बारे में खुलकर लिखा। उनके रचित व्यंग मात्र हंसी ठिठोली से कहीं अधिक होते हैं जो आपको मुस्कुराने के अलावा गम्भीरता से सोचने पर मजबूर करते हैं।

Bolna Hi Hai by Ravish Kumar on freedom of expression and the meaning of it

Bolna hee hai

रवीश कुमार की ये किताब भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर जो पाबन्दी लगाई जा रही है उस पर एक नज़र डालती है। ये पाबन्दी क्यों लगाई जा रही है ? कौन लगा रहे हैं? क्यों लगा रहे हैं? इन सब के बीच प्रेस की क्या भूमिका है और क्या वह अपनी भूमिका का सही से पालन कर रहा है या सत्ता के साथ मिलकर जनता की आवाज़ को कुचलने में मदद कर रहा है? इन्ही सब सवालों को पूछती और उनका उत्तर ढूंढ़ती है ये किताब।