Rajkamal Prakashan

बुक रिव्यु ऑफ़ साये में धुप

साये में धूप

साये में धूप – दुष्यंत कुमार की बेहतरीन कविताओं का संग्रह है। यह किताब बहुत ही सराही गयी और प्रचलित हुई, सन 1975 में पहली बार प्रकाशित हुई यह किताब आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।

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nithalle ki diary

निठल्ले की डायरी

हरिशंकर परसाई जी एक ऐसे व्यंगकार थे जिनकी कलम से लिखे व्यंग बहुत गहरी मार करते हैं । उन्होंने हमेशा सामाजिक व् राजनैतिक जीवन के दोगलेपन , चाटुकारिता और ढोंग के बारे में खुलकर लिखा। उनके रचित व्यंग मात्र हंसी ठिठोली से कहीं अधिक होते हैं जो आपको मुस्कुराने के अलावा गम्भीरता से सोचने पर मजबूर करते हैं।

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Bolna Hi Hai by Ravish Kumar on freedom of expression and the meaning of it

Bolna hee hai

रवीश कुमार की ये किताब भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर जो पाबन्दी लगाई जा रही है उस पर एक नज़र डालती है। ये पाबन्दी क्यों लगाई जा रही है ? कौन लगा रहे हैं? क्यों लगा रहे हैं? इन सब के बीच प्रेस की क्या भूमिका है और क्या वह अपनी भूमिका का सही से पालन कर रहा है या सत्ता के साथ मिलकर जनता की आवाज़ को कुचलने में मदद कर रहा है? इन्ही सब सवालों को पूछती और उनका उत्तर ढूंढ़ती है ये किताब।

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