गुलज़ारनामा – 6 किताबें कविताओं की
कमलेश पांडे जी ने गुलज़ार साहेब के बारे में एक फंक्शन में कुछ कहा था। वो शुरू ऐसे हुआ था , ” सवाल ये उठा कि गुलज़ार को पढ़ें कि सुनें , देखें कि गुनगुनाएं, आखिर गुलज़ार को पाएं तो कहाँ पाएं ?
गुलज़ार को उनकी फिल्मों में ढूंढो , तो शायरी में मिलते हैं , शायरी में तलाश करो तो अपनी कहानियों में बरामद होते हैं , कहानियों में तलाश करो तो ……..”
मतलब ये कि कलम और कला के जादूगर। फिलहाल उनकी कविताओं और शायरी में खोजते है उनको।