Estuary
A story of a middle class nuclear family set in today’s time where the world is driven by consumerism and the anxieties of a father of a teenage son.
A story of a middle class nuclear family set in today’s time where the world is driven by consumerism and the anxieties of a father of a teenage son.
Small Things Like These A great read – short, precise, and impactful. Do read if you like short novels.
A brilliant portrayal of the lives of Malayali people living in Delhi,, through the many historical changes that Delhi witnessed.
सवाल पूछा करो। अगर आवाज़ उठाने को, सवाल पूछने को सही समझते होअगर महज़ एक मतदाता नहीं खुद को नागरिक समझते होतो आवाज़ उठाया करो और सवाल जरूर पूछा करो। जरूरी नहीं कि तुम धरने पर बैठोजरूरी नहीं कि तुम जुलूसों में जाओजरूरी नहीं कि तुम बड़ी बग़ावत करो तुम बस अपने पढ़े लिखे को जाया
मैं बड़ा हुआ हूँ ये बात सुनते सुनतेकि इक्कीसवीं सदी भारत की होगीपहले स्कूल, फिर कॉलेज और उसके बादजाने ही कितनी बार ये बात सुनी थी। यही बात अनेक बुद्धिजीवियों ने,विचारकों ने भी कई बार कही थीयूँ तो ये बात नेताओं ने भी कही थीकई बार, और जाने कितने मंचों सेबस जब वो ये बात
किताबें पढ़ते हो ? हर दिन कुछ आगे बढ़ते हो ? पढ़ा करो हर दिन कुछ आगे बढ़ा करो पढ़ो इतिहास कि ग़लतियाँ ना दोहराएँ वही पढ़ो इतिहास कि जान पाएं क्या है सही पढ़ो विज्ञान कि समझ आएं दुनिया के रहस्य सभी पढ़ो विज्ञान और बनो तर्कसंगत तुम भी पढ़ो कवितायेँ व् कहानियाँ दुनिया भर
A fine story of a childless couple set up in rural Tamil Nadu by the master story teller Perumal Murugan
Cited as the seminal works of 20th century fiction. This is a story told by Franz Kafka of a travelling salesman Gregor Samsa, who one day transforms into a vermin. The story tells how everything changes post that metamorphosis.
हरिशंकर परसाई जी एक ऐसे व्यंगकार थे जिनकी कलम से लिखे व्यंग बहुत गहरी मार करते हैं । उन्होंने हमेशा सामाजिक व् राजनैतिक जीवन के दोगलेपन , चाटुकारिता और ढोंग के बारे में खुलकर लिखा। उनके रचित व्यंग मात्र हंसी ठिठोली से कहीं अधिक होते हैं जो आपको मुस्कुराने के अलावा गम्भीरता से सोचने पर मजबूर करते हैं।
आधा गाँव एक उपन्यास जो उत्तर प्रदेश के शिया मुसलमान बाहुल्य एक गाँव की कहानी है। दौर है सन 1947 का , जब राजनैतिक उथल-पुथल अपने चरम पर है। कांग्रेस और मुस्लिम लीग में तना तानी चल रही है और देश बंटवारे के दौर से गुज़र रहा है। ग्रामीण जीवन तथा बदलते राजनैतिक परिवेश में उसके यतार्थ को दर्शाता एक बेहतरीन उपन्यास।