Harishankar Parsai

Book Review of Apni Apni Beemari _Harishankar Parsai

अपनी अपनी बीमारी

हरिशंकर परसाई जी एक ऐसे व्यंगकार थे जिनकी कलम से लिखे व्यंग बहुत गहरी मार करते हैं । उन्होंने हमेशा सामाजिक व् राजनैतिक जीवन के दोगलेपन , चाटुकारिता और ढोंग के बारे में खुलकर लिखा। उनके रचित व्यंग मात्र हंसी ठिठोली से कहीं अधिक होते हैं जो आपको मुस्कुराने के अलावा गम्भीरता से सोचने पर मजबूर करते हैं।

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Viklang Shardha Ka Daur by Harishankar Parsai

विकलांग श्रद्धा का दौर

परसाई जी का व्यंग संग्रह जो उन्होंन उन्होंने आपातकाल और उसके बाद के राजनैतिक और सामाजिक मूल्यों के पतन के ऊपर लिखा है।

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nithalle ki diary

निठल्ले की डायरी

हरिशंकर परसाई जी एक ऐसे व्यंगकार थे जिनकी कलम से लिखे व्यंग बहुत गहरी मार करते हैं । उन्होंने हमेशा सामाजिक व् राजनैतिक जीवन के दोगलेपन , चाटुकारिता और ढोंग के बारे में खुलकर लिखा। उनके रचित व्यंग मात्र हंसी ठिठोली से कहीं अधिक होते हैं जो आपको मुस्कुराने के अलावा गम्भीरता से सोचने पर मजबूर करते हैं।

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