Chabbees Kahaniyan by Shivani

छब्बीस कहानियाँ

यह किताब क्यों ?

उत्तराखंड का निवासी होने के बावजूद बहुत देर से शिवानी जी के बारे में पता चला। जब पता चला तो लगा किस किताब से उनको पढ़ने के शुरुआत की जाये। यही खोजते हुए उनका ये कहानी संग्रह  दिखा और मन बनाया कि  इसी से शुरू किया जाये।

 किताब 

छब्बीस कहानियाँ – जैसा नाम से ही मालूम पड़ता है, एक लघु कथा संग्रह है जिसमे  छब्बीस कहानियाँ  हैं। कहानियां मूलरूप से बीसवीं सदी के भारतीय समाज को और खासकर उसमे स्त्रियों की स्थिति को दर्शाती हैं। प्रत्येक कहानी की नायिका स्त्री है और कहानी भी उसी के नज़रिये से कही गयी है। 

ये कहानियां आपको कुमाऊँ के पहाड़ों  और वहां के सादे लोगों से परिचय करवाएंगी।  कुछ कहानिया शांतिनिकेतन, कुछ लखनऊ , कुछ दिल्ली की भी हैं, पर सब कही गयी हैं एक स्त्री की नज़र से जो हर कहानी की नायिका है। 

लेखन की श्रेष्ठता का पता इस बात से चलता है जब कहानी में लिखे किरदार का चेहरा आपको दिखने लगे। शिवानी जी की हर कहानी के किरदार को आप देख और महसूस कर सकते हैं। कहानी पढ़ते हुए आप हर उस भाव से गुजरते हैं  जिससे कहानी का किरदार गुजर रहा होता है। बेहतरीन लघु कथा संग्रह – कहानियाँ जो पन्नों से निकलकर सीधे आपके दिल तक पहुँचती है और किरदार ऐसे जो कुछ दिनों तक आपके साथ रहते हैं , कुछ तो साथ ही रह जाते हैं। ऐसी ही कुछ कहानियां और किरदार मेरे साथ भी रह गए। 

लाल हवेली, नथ , मेरा भाई ,जोकर ये कुछ ऐसी कहानियां हैं जिन्हे  पढ़ते हुए आप कितने ही भावों से गुजरते हो।  शिवानी जी अपनी सभी कहानियों में अपने पत्रों का सटीक चित्रण करने के अलावा  उस जगह और काल का भी इतना विस्तृत और सटीक चित्रण करती है कि आपको लगता है आप उस शहर या गांव को अच्छे से जानते हो। उन्होंने  स्त्री और उसके दृष्टिकोण को बहुत ही बखूबी और बारीकी से अपनी कहानियों में पिरोया है। 

लेखिका  परिचय 

गौरा पंत ‘शिवानी’ का जन्म 17 अक्टूबर 1923 को विजयादशमी के दिन राजकोट (गुजरात) में हुआ । आधुनिक अग्रगामी विचारों के समर्थक पिता श्री अश्विनीकुमार पाण्डे राजकोट स्थित राजकुमार कॉलेज के प्रिंसिपल थे, जो कालांतर में माणबदर और रामपुर की रियासतों में दीवान भी रहे । माता और पिता दोनों ही विद्वान, संगीतप्रेमी और कई भाषाओं के ज्ञाता थे । साहित्य और संगीत के प्रति एक गहरी रुझान ‘शिवानी’ को उनसे ही मिली । उनकी किशोरावस्था शान्तिनिकेतन में, और युवावस्था अपने शिक्षाविद् पति के साथ उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में । पति के असामयिक निधन के बाद वे लम्बे समय तक लखनऊ में रहीं और अन्तिम समय में दिल्ली में अपनी बेटियों तथा अमरीका में बसे पुत्र के परिवार के बीच अधिक समय बिताया। 

अगर आप हिंदी साहित्य पढ़ते हैं तो छब्बीस कहानियाँ  आपको जरूर पसंद आएगी। 

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