Hindi

Bolna Hi Hai by Ravish Kumar on freedom of expression and the meaning of it

Bolna hee hai

रवीश कुमार की ये किताब भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर जो पाबन्दी लगाई जा रही है उस पर एक नज़र डालती है। ये पाबन्दी क्यों लगाई जा रही है ? कौन लगा रहे हैं? क्यों लगा रहे हैं? इन सब के बीच प्रेस की क्या भूमिका है और क्या वह अपनी भूमिका का सही से पालन कर रहा है या सत्ता के साथ मिलकर जनता की आवाज़ को कुचलने में मदद कर रहा है? इन्ही सब सवालों को पूछती और उनका उत्तर ढूंढ़ती है ये किताब।

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Book Reviews Gulzar

गुलज़ारनामा – 6 किताबें कविताओं की

कमलेश पांडे जी ने गुलज़ार साहेब के बारे में एक फंक्शन में कुछ कहा था। वो शुरू ऐसे हुआ था , ” सवाल ये उठा कि गुलज़ार को पढ़ें कि सुनें , देखें कि गुनगुनाएं, आखिर गुलज़ार को पाएं तो कहाँ पाएं ?
गुलज़ार को उनकी फिल्मों में ढूंढो , तो शायरी में मिलते हैं , शायरी में तलाश करो तो अपनी कहानियों में बरामद होते हैं , कहानियों में तलाश करो तो ……..”

मतलब ये कि कलम और कला के जादूगर। फिलहाल उनकी कविताओं और शायरी में खोजते है उनको।

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